Somnath Jyotirling: भारत का पहला और सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग, जिसे बार-बार तोड़ा गया, लेकिन कभी नहीं डगमगाई आस्था
Somnath Jyotirling: भारत का पहला और सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग, जिसे बार-बार तोड़ा गया, लेकिन कभी नहीं डगमगाई आस्था

Somnath Jyotirling: भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं. ये सभी ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हैं. हर ज्योतिर्लिंग को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. बता दें, ज्योतिर्लिंग उस स्थान को कहा जाता है जहां भगवान शिव स्वयं एक ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे. ज्योतिर्लिंग यानी ज्योति (प्रकाश) और लिंग यानी आकार या प्रतीक, अर्थात भगवान शिव के प्रकाश का प्रतीक.
शिव पुराण में भी है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का विर्णन
यहां हम बात कर रहे हैं सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की. जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. इस ज्योतिर्लिंग को सबसे पुराना माना जाता है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बंदरगाह के पास स्थित है. यह ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहले प्रकट हुआ था. यहां भगवान शिव एक उग्र स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे. इस ज्योतिर्लिंग का विवरण शिव पुराण में भी है.
पुनर्निर्माण और विनाश का रहा है सोमनाथ मंदिर का इतिहास
सोमनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यह मंदिर सरस्वती, कपिला और हिरन नदी के संगम पर स्थित है. इस मंदिर का इतिहास कई बार पुनर्निर्माण और विनाश का रहा है. बता दें, इस ज्योतिर्लिंग और मंदिर का वर्णन शिव पुराण में भी है. शिव पुराण के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना सबसे पहले चंद्र देवता द्वारा की गई. उस समय यह मंदिर सोने से बनवाया गया था. इसके बाद मंदिर का निर्माण रावण ने करवाया था. तब इस मंदिर को चांदी से बनवाया गया था. रावण के बाद सोमनाथ मंदिर को भगवान श्री कृष्ण ने लकड़ी से बनवाया और अंत में इसे भीमदेव ने पत्थर से बनवाया था.
1951 में बनाया गया था मंदिर का वर्तमान स्वरूप
इसके बाद मंदिर को कई बार तोड़ा गया और फिर बनवाया गया. एक बार महमूद गजनवीइस ने मंदिर पर हमला कर दिया था. इसके बाद फिर से मंदिर का पुर्निमाण किया गया. कहा जाता है कि अब मंदिर का जो स्वरूप है वो 1951 में बनाया गया था. हालांकि मंदिर का इतिहास 649 ईसा पूर्व से पता चल जाता है, लेकिन माना ये जाता है कि मंदिर उससे भी काफी पुराना है. वर्तमान में इस मंदिर को क्रीमी रंग से रंगा गया है. मंदिर में छोटे के आकार की मूर्तियां हैं. जो बेहद सुंदर हैं और मंदिर के बीचो बीच ज्योतिर्लिंग स्थापित है.
क्या है सोमनाथ मंदिर की कहानी
शिवपुराण के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने अपनी पुत्रियों के कहने पर चंद्र देव को श्राप दे दिया था. श्राप के अनुसार, चंद्र देव का प्रकाश धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. इस श्राप को समाप्त करने के लिए चंद्र देव ने ब्रह्माजी से मदद मांगी. चंद्र देव के आग्रह पर ब्रह्मा जी ने उन्हें सलाह देते हुए बताया कि वे शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सोमनाथ क्षेत्र में तप करें.
चंद्र देव के कहने पर सोमनाथ में प्रकट हुए थे भगवान शिव
ब्रह्मा जी के कहने पर चंद्र देव ने सोमनाथ में एक शिवलिंग की स्थापना कर तप शुरू कर दिया. चंद्र देव की तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रकट हुए और चंद्र देव से प्रसन्न होकर उनका श्राप खत्म करके उन्हें अमर होने का वरदान दिया. इसके बाद चंद्र देव ने भगवान शिव से आग्रह किया वे यहीं वास करें. चंद्र देव के कहने पर भगवान शिव ज्योति स्वरूप में सोमनाथ में विराजत हो गए. तब से इसे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.