12 Jyotirlinga: इन जगहों पर आज भी विराजते हैं भगवान शिव, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना, जानें इतिहास और महत्व
12 Jyotirlinga: भारत के 12 ज्योतिर्लिंग जहां पूरी होती है हर मनोकामना, यहां जानें संपूर्ण जानकारी

12 Jyotirlinga: साल के 12 मास में से सावन को पवित्र महीना माना जाता है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है. वैसे तो भक्त हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ की विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन सावन में की गई पूजा का विशेष फल मिलता है.
सावन में किसी भी एक ज्योतिर्लिंग का जरूर करें दर्शन
कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. सावन में भगवान शिव के मंदिर जाने का विशेष फल मिलता है. वहीं अगर कोई व्यक्ति सावन में भोलेनाथ के 12 में से किसी एक ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन कर ले तो उस पर शिव जी की विशेष कृपा होती है.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
बता दें, भोलेनाथ के कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थापित हैं. पहला ज्योतिर्लिंग है ‘सोमनाथ’ जो सबसे पुराना माना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थापित है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
इसके अलावा दूसरा ज्योतिर्लिंग है ‘मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग’ जो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में कृष्णा नदी के तट पर एक पहाड़ी पर स्थित है. बता दें, इसे ‘दक्षिण का कैलाश’ भी कहा जाता है.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
वहीं, तीसरे नंबर पर आता है. ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ जो मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है. बता दें, यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है. ऐसे में इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने का विशेष महत्व माना जाता है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
इसके बाद आता है ‘ओमांकारेश्वर ज्योतिर्लिंग’, यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मांधाता पर्वत पर स्थित है. यहां ओकांरेश्वर के साथ-साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्थापित है. हालांकि इन दोनों को एक ही ज्योतिर्लिंग माना जाता है. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए बिना ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अधूरे माने जाते हैं.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
‘केदारनाथ ज्योतिर्लिंग’, जो कि विश्वप्रसिद्ध है. यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. कहा जाता है कि यह मंदिर धरती से करीब 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. बता दें, केदारनाथ चार धामों और पंच केदार का भी हिस्सा है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग को ‘मोटेश्वर महादेव’ भी कहा जाता है. यह मंदिर भीमा नदी के पास सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है.
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ, यह भी 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. इसे ‘विश्वेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित है. मान्यता है कि जो भी इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है और गंगा नदी में स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबक गांव में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है. कहा जाता है कि यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव एक साथ विराजित हैं. ऐसे में इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व माना जाता है.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, यह झारखण्ड के देवघर में स्थापित है. इस जगह को ‘वैद्यनाथ धाम’ भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव का एक नाम ‘बैद्यनाथ’ भी है. बता दें, यह एक सिद्धपीठ भी है. ऐसे में इस ज्योतिर्लिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहा जाता है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, यह ज्योतिर्लिंग गुजरात में द्वारका से 25 किमी की दूरी पर स्थित है. यह ज्योतिर्लिंग 10वें स्थान पर आता है. यहां भगवान शिव की ध्यान मुद्रा वाली प्रतिमा बनाई गई है. बता दें, यहां भगवान शिव की नागों के देवता के रूप में पूजा की जाती है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में स्थित है. यह चार धामों में से एक है. कहा जाता है इस शिवलिंग का निर्माण भगवान राम नेकिया था. यही वजह है कि इसे ‘रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग’ कहा जाता है.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, यह 12वां और अंतिम ज्योतिर्लिंग है जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गांव में स्थित है. इसे ‘घुश्मेश्वर मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है. यह एलोरा गुफाओं के पास स्थित है. यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग है.